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Friday 29 April 2011

क्या सचमुच ऐसा ही है अगर है तो

नमस्कार दोस्तों ,
कल मैं न्यूज़ में देख रहा था की २१ मई २०११ को दुनिया ख़त्म होने वाली है ,क्या सचमुच ऐसा है. हालाँकि ये सब अंध विस्वास है की संसार  का विनाश हो जायगा 
लेकिन कभी कभी मैं सोचता हूँ की कभी न कभी कुछ न कुछ तो होगा ,क्योंकि मानव प्रजाति ने इतनी प्रगति कर ली है की वो विधाता को कुछ समझ ही नहीं रहा है 
सिर्फ पैसे के लिए ,इस पैसे ने मानव को इतना खुदगर्ज़ बना दिया है की बस पूछिए मत ........
पैसे की अंधी भूख ने मनुष्य ने समस्त जीव प्रजाति का लगभग विनाश कर डाला ,और कर रहा है ,जमीने खोखली कर दी है ,हवा को भी शुद्ध नहीं छोड़ा ,आदमी आदमी को गज़र मूली की तरह काट रहा है प्रक्रति से छेड़छाड़ कर रहा मनुष्य उस संसार रचने वाले को भूल बैठा है ,लेकिन ये उसकी भूल है, एक दिन उस पर ऐसा कहर टूटेगा की वो खुदपर न तो हंस पायगा न ही  रो पायगा,क्या सचमुच ऐसा ही है अगर है तो  .......................
देखते है २१ मई २०११ को क्या होता है .......
अगर जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे  तब तक के लिए आप सब को हमारा हाथ जोड़ कर नमस्कार ,
नोट -:कृपया इसे किसी और तरह  से न ले I
इस मंच पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, बस जाने से पहले एक गुजारिश है साहब की- 'कुछ तो कहते जाइये जो याद आप हमको भी रहें, अच्छा नहीं तो बुरा सही पर कुछ तो लिखते जाइये।

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पी के ''तनहा''