Pages

Friday 9 March 2012

जिंदगी ने मुझको पल पल दगा दिया .....

 













जिंदगी ने भी मुझको पल पल दगा  दिया !
जाना कहाँ था मुझकोपहुंचा कहाँ दिया !! 

एक हमसफ़र मेरा तू था , फिर क्यों तुने ये किया !
क्यों  साथ यूँही  पल पल , तुने मेरा दिया !!
मेरी वफा में कमी क्या थी , एक बार बता देते !
अब कभी ना भरेगा , जो ज़ख्म तुने दिया !!

जिंदगी ने भी मुझको पल पल दगा  दिया !
जाना कहाँ था मुझकोपहुंचा कहाँ दिया !! 

अब कहूँ क्या मैं तुमसे , ये दिल मेरा जल गया !
मंजिल को पाकर भी मैं, कैसे फिसल गया !!
ये चाहत का तेरी सिला है, जो हुआ ये मेरा हाल !
इस मासूम को तुने , कब मुजरिम बना दिया !!

जिंदगी ने भी मुझको पल पल दगा  दिया !
जाना कहाँ था मुझकोपहुंचा कहाँ दिया !! 

No comments:

Post a Comment

आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,
आपका अपना
पी के ''तनहा''