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Saturday 7 April 2012

एक अजनबी से प्यार ...........

मेरी जिंदगी में तेरे आते ही,  जैसे एक बेसहारा को सहारा मिल गया , एक डूबता को किनारा मिल गया , कितने सपने देखने लगा था मैं भी , ये जानते हुए की सपने सपने ही होते है ,चला था तुमको साथी बनाने मगर शायद किस्मत को ये मंजूर ना था ,याद है मुझको आज भी जब पहली बार देखा  था  तुमको , कितनी मासूमियत थी चेहरे पर तुम्हारे , वो सादगी भरा लिबास ,मुझको तुम्हारी और खीच ले गया .लेकिन हम मिल ना पाए , हाँ ....इंतज़ार तो तुम्हारा आज भी मुझको और यकीं भी  अगर जिंदगी ने साथ दिया  तो एक बार ये अजनबी ज़रूर मिलेंगे.वो खिलखिलाती  हसीं ..आज भी मेरी तन्हाई को झिझोंड देती है और मैं एक  बार फिर ४ वर्ष पहले फ्लेश बेक में चला  जाता हूँ  .और वहां ( खाव्बो में ) तुमको पाता हूँ.तुम तो शायद आज भी ना जानते होंगे मुझको, ना पहचानते होंगे मुझको.और मुझको भी तुम्हारा ना नाम मालूम है  , ना पता .बस एक अजीब सा रिश्ता है .उसी रिश्ते  के  सहारे  जी रहा हूँ , और सोचता हूँ की, की इस प्यार को मैं क्या नाम दूं. हमारे बीच रिश्ता  बनने से पहले  ही टूट गया तुझसे बिछड़ने के बाद , मुझे जिंदगी एक बोझ सी लगने लगी ..जैसे ही  मैं हार मानता ..तेरी  परछाई मेरे सामने आती और मुझे समझाती.की बस एक कदम और शर्मा जी  ..और मुझमे एक शक्ति  सी भर देती ! मैं फिर खड़ा होता और निकल  पड़ता जिंदगी की  खोज में !  तुमसे मेरा कोई रिश्ता ना होकर भी अक अनोखा रिश्ता बन गया ,आज उन्ही को शब्दों  की माला में पिरोकर  लिख रहा हूँ    !  जाने कितनी ही कोशिश की तेरे दीदार की ...मगर अफशोश ये मुमकिन  ना हो  सका  . और आज भी ये आँखें तेरा ही करती है ...........इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार .............कभी तो मिल जाना यार ...................
 
नोट : ये एक सच्ची घटना है. एक बार ज़रूर पढना ! ब्लॉग पर आकर समय देने के लिए धन्यवाद !

2 comments:

  1. बहुत ही दर्द भरी दास्ताँ है.....

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  2. ye sach hai insaan apna pahla pyar kabhi nahi bhulta.. ishwar kare aapko aapka khoya pyar jaldi mile, yahi duwa hai..
    haardik shubhkamnayen!

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पी के ''तनहा''