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Friday 15 March 2013

ज़ख्म कितने पुराने थे,...........

यादों के दर्मिंयाँ, कुछ अनछुए ख्वाब रह गये !
ज़ख्म कितने पुराने थे, हम फिर भी सह गये !!
और आज, खोला जो अतीत का एक पन्ना हमने !
मेरी आँखों से ये मोती, फिर अनायस ही बह गये !!

पी के ''तनहा''

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पी के ''तनहा''