Pages

Saturday 7 May 2016

कुछ इस तरह से सजा दे रही है ज़िंदगी....

कुछ इस तरह से सजा दे रही है ज़िंदगी !
मैं मुददत से, अपनी खता ढूंढ रहा हूँ !!
पी के ''तनहा''

No comments:

Post a Comment

आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,
आपका अपना
पी के ''तनहा''